Friday, 18 November 2011

 
                                                                                            मै कौन  हूँ 
             मै  कौन हूँ ? हम कभी ये प्रश्न समझ ही नहीं पाते है और शायद जीवन में इससे जयादा  महत्व किसी  बात का  नहीं  है की हमने  अपने को पूरी तरह जाना ही नहीं और अपनी अंतरात्मा को भी नहीं पहचान पाते है |  अंतरात्मा शांति चहेती है पर हम जो करते है उससे अशांति बदती है | शांति का आरंभ वहासे  है जहा की महत्वाकांक्षा का अंत  होता है | सत्य को जानना ही   सबसे बड़ी बात है |  सत्य को जानकर उसकी अनुभूति करो और तब किसी भी बात का त्याग धीरे धीरे नहीं करना पड़ता है सत्य की अनुभूति ही त्याग बन जाती है | अज्ञान हमको बहुत से रास्ते पे ले जाता है पर ज्ञान का एक ही कदम हमको जीवन के लक्ष्य तक पंहुचा देता है |                                  जीवन का आनंद जीने वाले की दृष्टि में होता है | आनंद तो हेर जगह ही है पर अपने अंदर देखो और जान लो की सारा सुख हम अपने ही अंदर लिए बैठे है | बस हम सही मार्ग का चयन नहीं केर पा रहे है और इसी को भटकाव कहते है|  जीवन के चरम  दो लक्ष्य है .........स्वयं  को और सत्य को पाना जो ये याद रखता है वो सदा अतृप्त रहता है और वो फिर तृप्ति की खोज में लगा रहता है |  खोज में लगा व्यक्ति सदा जगा ही रहेगा और जो जगा रहेगा वही कुछ ज्ञान पायेगा |  अन्धकार  से भरी रात में यदि एक दीपक भी जलता हो वो समय दूर नहीं होता है जब पूरा जीवन ही प्रकाशमय हो जायेगा |
                                 चित की सदा सफाई करनी चाहिए ये अत्यंत आवश्यक है मन के साफ़ रहने से ही हम पुरानी और कडवी बातो को भूल जाते है और अपने मन को सत्य की खोज में लगाते है | बूँद बूँद से सागर भरता है और षड षड से ही जीवन बनता है इसलिए जो बूँद की महिमा जान लेता है वो जीवन के हर षड को जान लेता है |   जीवन में [ मै ]  से बड़ी भूल कोई नहीं है जो इस अवरोध को पार नहीं केर पाते है वो सदा पीछे छूट जाते है |
                                            एक दिन किसी ने मुझेसे पुछा की क्या बचाया जा सकता है तो मुझे बहुत हसी आई तो उसने फिर पुछा आप हस क्यों रही है मैंने कहा की बचाने को अब बस एक ही चीज़ बची है उसने पुछा क्या ................तो मैंने कहा की अपनी आत्मा और उसका संगीत |  मेरा उतर शायद उसे भी उचित लगा
                              ये याद रखना चाहिए जो कुछ बाहरसे मिलता है उसे अपना समझना भूल है स्वयम का वही है जो अंदर से ही मिलता है और वो है अंदर का प्रकाश और अंदर से मिला प्रेम | प्रेम ही आनंद है और यही आनंद इस्थाई है |  यही जीवन सत्य भी है |  सदा अपने पे भरोसा करो अपनी ही खोज करो |जिसने अपना मन जान लिया उसने अपने को पहचान लिया |
                                                               || जिन प्रेम कियो तिन प्रभू पायो ||
 
 
 
 
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