Sunday, 20 November 2011

प्रार्थना से प्रेम की ओर
प्रार्थना की है ? प्रेम और समर्प्रण ...........और जहाँ प्रेम नहीं है वहां प्रार्थना हो ही नहीं सकती है | प्रेम संसार की सबसे श्रेठ वस्तु है क्योकि ये तो सत्य का अंग है | प्रार्थना का कोई एक ढांचा नहीं होता है ये तो ह्रदय से निकलने वाली एक भावना है जो अंकुर की तरह फूटती है इसके लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता है | हम कब और कहाँ प्रेम से प्रेरित हो जाते है ये पता नही चलता है |
जीवन एक कला है मनुष्य एक कलाकार है और प्रेम एक रंग है | जिसने जितना प्रेम का रंग भर लिया उसका जीवन उतना ही प्रेममय हो जाता है | हम जैसा चाहे अपना जीवन वैसा ही बना सकते है बस इतना याद रखना होता है मनुष्य बना बनाया पैदा नहीं होता है | जन्म से तो हम मिटटी की तरह होते है उसे जैसा चाहो रूप दे दो | उसे अपने को ही जनम देना होता है और यही पे हमारा मनुष्य होने का दायित्व बड जाता है | हम अपने को एक सुंदर स्वरूप में देखना चाहते है | लेकिन डरते है किससे ? हम अपने अंदर छुपे हुए नकारात्मक विचारो से ही डरते है ये डर क्यों होता है क्योकि हम अपने जन्मदाता पे पूर्ण समर्पण का भाव नहीं रखते है और यही हमारी सबसे बड़ी भूल होती है | एक बार पूर्ण समर्पित भाव से इश्वर की शरण में जा केर देखो इतना प्रेम का सागर दिखेगा की प्रार्थना अपने आप ही बन जाएगी |
मनुष्य अपने अंदर अथाह प्रेम की सम्भावनाये लिए हुए है जैसे एक बीज में पूरा विराट व्रक्ष समाया होता है और अगर वो बीज ही नष्ट हो जाए तो क्या होगा उस वृक्ष का पूरा वजूद ही समाप्त हो जायेगा उसी तरह अगर हम अपने भीतर छुपे हुए प्रेम को बाहर नहीं आने देगे तो हम एक प्रेममय वातावरण को बनने ही नहीं देगे और जीवन की एक अमूल्य निधि से वंचित हो जायेगे और जीवन का प्रेम रस सूख जायेगा | प्रेम तो वो रस है जो जीवन रुपी बेल को सीचता है और संसार को एक अनोखे रंग में रंग देता है | प्रार्थना किसी की भी हो सकती है बस उसमे समपर्ण की भावना होनी चाहिए |
यही सुखी और सम्पूर्ण जीवन का मूल मंत्र है | प्रेम ही एक येसा धन है जो बाटने से कभी कम नहीं होता है | आप जितना बाटोगे उतना ही बढ के आपको मिलेगा | जो प्रेम से जीने की कला नहीं जानता है वह तो मर्त्य के सामान होता है |

1 comment:

  1. On this i would like to share a thought.In this advanced era of telecommunication, we have broadband internet,free roaming,unlimited calls and messages etc. The same way,one more very beautiful facility we have since the very beginning of human life,which we often do not realize,is that we have the lifetime offer of fastest connection,free roaming and unlimited calls/messages, and that too without any charge- to God. We can have any length of conversations,prayers,demands,complains,thanksgiving etc with God ,and you will never find Him busy to answer your calls. In fact He is the only one who is always waiting for you to call,but we are too busy or selective to call Him. So go ahead and start calling and you will be surprised by the offers and discounts He gives you.

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